एक दिन सिर्फ तस्वीरें रह जाती हैं ,
फिर हम साल दर साल ज़िन्दगी से इतनी आस क्यों लगाये बैठे हैं ?
एक दिन हम भी दीवार पर अपना आशियाँ बनायेगे,
फिर हम इस ज़मीन से इतनी चाहत क्यों किये बैठे हैं?
एक दिन वक़्त रुक जायेगा, घड़ी के हाथ थम जायेंगे,
फिर हम ज़माने की दौड़ में पीछे रहने से क्यों डर जाते हैं?